The best Side of sidh kunjika
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देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति प्रथमोऽध्यायः
This Mantra is published in the shape of a discussion among a guru and his disciple. This Mantra is understood being The true secret to your tranquil state of thoughts.
Attract a line from the Sahasrara. Within the junction exactly where the eyes, ears, nose and mouth unite on that axis, that is certainly The situation of intensity On this meditation.
नमस्ते शुंभहंत्र्यै च निशुंभासुरघातिनि ।
नमः कैटभ हारिण्यै, नमस्ते महिषार्दिनि।।
अति गुह्यतरं देवि ! देवानामपि दुलर्भम्।।
क्रां क्रीं क्रूं कालिका देवि शां शीं शूं मे शुभं कुरु ॥ १० ॥
सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ करने से विपदाएं here स्वत: ही दूर हो जाती हैं और समस्त कष्ट से मुक्ति मिलती है। यह सिद्ध स्त्रोत है और इसे करने से दुर्गासप्तशती पढ़ने के समान पुण्य मिलता है।
देवी वैभवाश्चर्य अष्टोत्तर शत नाम स्तोत्रम्
धां धीं धू धूर्जटे: पत्नी वां वीं वूं वागधीश्वरी।
क्रां क्रीं क्रूं कालिका देवि शां शीं शूं मे शुभं कुरु ।।
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति द्वादशोऽध्यायः
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति तृतीयोऽध्यायः
One thing that ought to be famous is that this type of way involves tough Sadhna and Sacrifice from anyone. Simultaneously, the negative result from the slightest oversight is The explanation that Tantrik practices of achieving God are frequently said being avoided.